Apathit Gadyansh For Class 4 with Solutions

यहां इस पोस्ट में Short Apathit Gadyansh For Class 4 पढ़ें, हम कक्षा 4 के हिंदी छात्रों के लिए इस लेख को नियमित रूप से अपडेट करते हैं। यह कक्षा 4 के छात्रों को उनके पढ़ने के कौशल में सुधार करने में मदद करेगा, तथा उनकी समझ को विकसित करेगा


Apathit Gadyansh For Class 4 | अपठित गद्यांश – 1

Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 4 (Apathit Gadyansh for class 4) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-

गुसैल लड़का

किसी गाँव में एक गुसैल लड़का रहता था। वह और उसका परिवार उसके गुस्से से बहुत परेशान थे  क्योंकि वह गुस्से में लोगों से बहुत गलत व्यव्हार करता था।

यह देखकर लड़के के पिता उसे एक संत के पास ले गये, संत ने जब पूरी बात को ध्यान से सुना तब उसने कीलों से भरा एक थैला उस गुसैल लड़के को दिया। उन्होंने उससे कहा, “जब भी तुम्हें गुस्सा आये तो उसमें से एक कील निकालकर घर के लकड़ी के दरवाजे पर ठोक देना। उस लड़के ने ऐसा ही किया।

जब भी उसे गुस्सा आता तो वह थैले से एक कील निकालकर उसे घर के लकड़ी के दरवाजे पर ठोक देता। उसने पाया कि उसने पहले ही दिन में 40 कीलें ठोकीं और यह देखकर वह हैरान रह गया।

धीरे-धीरे उन्होंने अपने गुस्से पर काबू पाना शुरू कर दिया और एक दिन ऐसा आया कि उन्हें एक भी कील ठोकने की जरूरत नहीं पड़ी।

जब उसने यह बात जा कर उस संत को बताई तो संत ने उससे कहा, “जब भी तुम्हें गुस्सा आता है तो तुम उस लकड़ी के दरवाजे पर कील ठोंक देते हो। परिणामस्वरूप, दरवाजे में कई छेद हो गए और यह पहले जैसा कभी नहीं होगा। उसी तरह गुस्सा भी लोगों को सिर्फ घाव देता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी बार माफ़ी मांगते हैं।

प्रश्न-1 गुसैल लड़के के पिता उसे किसके पास ले गये?

प्रश्न-2 संत ने पूरी बात सुनकर उस गुसैल लड़के को क्या दिया?

प्रश्न-3 संत ने लड़के को कीलें कहाँ ठोकने के लिए कहा?

प्रश्न-4 लड़के ने पहले दिन कितनी कीलें दरवाजे पर ठोक दी?

प्रश्न-5 संत के कहे अनुसार गुस्सा लोगों को क्या देता है?

अपठित गद्यांश -6 के उत्तर :-

उत्तर-1. गुसैल लड़के के पिता उसे एक संत के पास ले गये।

उत्तर-2.संत ने पूरी बात सुनकर कीलों से भरा एक थैला उस गुसैल लड़के को दिया।

उत्तर-3. संत ने लड़के को कीलें घर पर लकड़ी के दरवाजे पर ठोकने के लिए कहा।

उत्तर-4. उसने पहले ही दिन में 40 कीलें ठोक दी।

उत्तर-5. संत के कहे अनुसार गुस्सा लोगों को घाव देता है।





Apathit Gadyansh For Class 4 | अपठित गद्यांश – 2

Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 4 (Apathit Gadyansh for class 4) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-

गुरुनानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा, 20 अक्टूबर 1469 ई. को माता तृप्ता की कोख से तलवण्डी नामक स्थान पर हुआ था। गुरुनानक देव जी ने समाज में व्याप्त जातिवाद, आपसी भेद-भाव, को दूर करने का निश्चय किया तथा हिन्दू समाज में छायी जर्जरता को देखकर उनका मन हुआ कि हम हिन्दुओं को सबल बनकर स्वयं की रक्षा करनी होगी और अंधविश्वास और पारस्परिक भेद-भाव को मिटाना आवश्यक है। 

अतः उन्होंने अपने क्रियात्मक उपदेशों के द्वारा घूम-घूम कर लोगों को ज्ञान देना आरम्भ किया। वे आजीवन लोगों को नेकी और परोपकार की राह पर चलने का उपदेश देते रहे। उनकी शिक्षाओं का असर हिन्दुओं के विभिन्न सम्प्रदायों, के साथ सैकड़ों निष्पक्ष मुसलमानों पर भी पड़ा। सन् 1538 में उनका देहांत होने पर सबने मिलकर उनका अंतिम संस्कार किया और हजारों कंठों से यही आवाज निकली-

गुरुनानक शाह फकीर ।
हिन्दू का गुरु मुसलमान का पीर ।।

प्रश्न-1 गुरुनानक देव जी का जन्म कब हुआ था?

प्रश्न-2 गुरु नानक देव जी की माता का क्या नाम था?

प्रश्न-3 गुरु नानक देव जी का जन्म किस स्थान पर हुआ?

प्रश्न-4 गुरु नानक देव जी का देहांत कब हुआ था?

प्रश्न-5 गुरु नानक देव जी के अंतिम संस्कार के समय उनके हजारों अनुयायियों के मुंह से क्या आवाज निकली?

अपठित गद्यांश -7 के उत्तर :-

उत्तर-1. गुरुनानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा, 20 अक्टूबर 1469 को हुआ था।

उत्तर-2. गुरु नानक देव जी की माता का नाम तृप्ता था।

उत्तर-3. गुरु नानक देव जी का जन्म तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था।

उत्तर-4. गुरु नानक देव जी का देहांत 1538 में हुआ था।

उत्तर-5. उनके अंतिम संस्कार के समय उनके अनुयायियों के मुंह से आवाज निकली-

गुरुनानक शाह फकीर ।

हिन्दू का गुरु मुसलमान का पीर ।।





Apathit Gadyansh For Class 4 | अपठित गद्यांश – 3

Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 4 (Apathit Gadyansh for class 4) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-

एक बार एक गरीब नाई जो अपने काम में बहुत माहिर और इमानदार था एक दिन काम से वापस लौटते समय वह यह सोचने लगा कि आज खाने में क्या बनाऊं, तभी उसे वहां एक मुर्गी की आवाज सुनाई दी उसे देखकर उसने सोचा कि यह मेरा आज का भोजन बन सकती है, और इतना सोचकर उसने उस मुर्गी को थोड़े ही प्रयास में पकड़ लिया और उसे अपने घर ले गया। 

जब  वह उस मुर्गी को काटने ही वाला था तभी वह मुर्गी बोल पड़ी, मुर्गी कहने लगी की मेरी जान बख्श दो मैं तुम्हें रोज एक सोने का अंडा दूंगी। वह व्यक्ति इस बात से हैरान था कि मुर्गी बोलती है, लेकिन उसके द्वारा किए गए इस वादे पर उसे ज्यादा आश्चर्य था। 

उसने मुर्गी को छोड़ दिया और अगले दिन का इंतजार किया अगले सुबह वह मुर्गी झोंपड़ी के बाहर बैठी थी और उसके पास में एक सोने का अंडा पड़ा हुआ था। यह बात सत्य थी कि वह एक सोने का अंडा देने वाली मुर्गी थी। उसने यह बात किसी को भी नहीं बताई क्योंकि उसे यह डर था कि कहीं कोई और व्यक्ति इस मुर्गी को उससे छीन ना ले।

प्रश्न-1 काम से वापस लौटते समय वह नाई क्या सोच रहा था?

प्रश्न-2 नाई को रास्ते में क्या दिखाई दिया?

प्रश्न-3 जब वह उस मुर्गी को काटने वाला था तब क्या हुआ?

प्रश्न-4 मुर्गी ने उस नाइ को क्या देने का वादा किया?

प्रश्न-5 क्या सच में उसे मुर्गी ने सोने का अंडा दिया?

अपठित गद्यांश -8 के उत्तर :-

उत्तर-1. काम से वापस लौटते समय वह नाई सोच रहा था कि आज खाने में क्या बनाऊं

उत्तर-2. नाई को रास्ते में एक मुर्गी दिखाई दी।

उत्तर-3. जब वह मुर्गी को काटने ही वाला था तब वह मुर्गी बोल पड़ी कि मुझे छोड़ दो।

उत्तर-4. मुर्गी ने नई को वादा किया कि अगर वह उसे छोड़ देगा तो वह उसे रोज एक सोने का अंडा देगी।

उत्तर-5. हां अगली सुबह उस मुर्गी ने एक सोने का अंडा दिया था।





Apathit Gadyansh For Class 4 | अपठित गद्यांश – 4

Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 4 (Apathit Gadyansh for class 4) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-

एक बार एक शेर जंगल में पेड़ के नीचे आराम कर रहा था तभी उधर से एक चूहा फुदकते हुए शेर की पूंछ से उसके ऊपर चढ़ गया, और शेर के विशाल शरीर के ऊपर कूदने लगा।  चूहे की इस हरकत से शेर की नींद खुल गई, और उसने चूहे को अपने पंजे में दबोच लिया। और खाने ही लगा तभी चूहे ने विनम्रता से शेर माफ़ी कि गुहार लगाई साथ ही ये कहा, कि मैं कभी आपके काम आऊंगा। शेर ने चूहे की इस बात पर हंसते हुए उसे छोड़ दिया और कह कि तू इतना छोटा है मेरे क्या काम आएगा।

कुछ दिन बाद कुछ शिकारियों ने उस शेर को पकड़ने के लिए जंगल में जाल बिछा दिया। शेर उस जाल में फंस गया और निराशा से सहायता के लिए दहाड़ने लगा, तभी संयोगवश  वह चूहा वहां से जा रहा था उसने उस शेर को मुसीबत में देखा, और उसके जाल को अपने तीखे दांतों से काट दिया और उसे उन शिकारियों के चंगुल से मुक्त कर दिया, तब से वे दोनों पक्के दोस्त बन गये।

सीख – “हमें किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए”

प्रश्न-1 शेर पेड़ के नीचे क्या कर रहा था?

प्रश्न-2 कौन शेर के शरीर के ऊपर चढ़ गया और फुदकने लगा?

प्रश्न-3 चूहे ने शेर से क्या गुहार लगाई?

प्रश्न-4 शेर को मुसीबत से किसने बचाया?

प्रश्न-5 इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

अपठित गद्यांश -9 के उत्तर :-

उत्तर-1. शेर पेड़ के नीचे आराम कर रहा था।

उत्तर-2. एक चूहा शेर के शरीर के ऊपर चढ़ गया और फुदकने लगा।

उत्तर-3. चूहे ने शेर से गुहार लगाई कि अगर वह उसे छोड़ देगा तो वह कभी उसके काम आएगा।

उत्तर-4. चूहे ने शेर को मुसीबत से बचाया।

उत्तर-5. इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए।





Apathit Gadyansh For Class 4 | अपठित गद्यांश – 5

Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 4 (Apathit Gadyansh for class 4) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-

महाप्रभु चैतन्य का जन्म मायापुर, नदिया ग्राम में हुआ था। उसके पिता का नाम जगन्नाथ व माता का नाम शची था। महाप्रभु चैतन्य के बचपन का नाम ‘गौरांग’ था। गौरांग बचपन से ही भगवत भक्ति में लीन रहते थे। बड़े होकर महाप्रभु चैतन्य  हिन्दू और हिन्दू धर्म की उस दुर्दशा को देखकर बहुत आहत हुए। 

उनकी समाजभावी आत्मा उसकी रक्षा के लिए तड़प उठी। उनके पास भक्ति और साधना के अलावा कोई रास्ता एवं साधन नहीं था ,यही साधन संसार के समस्त साधनों से अधिक शक्तिशाली सिद्ध हुआ और उन्होंने सच्चाई के साथ जनकल्याण हेतु भगवत भक्ति का प्रचार किया। हिन्दुओं में भक्ति की एक अलख जगाई और धर्म जागरण का अनूठा कार्य भी किया।

प्रश्न-1 महाप्रभु चैतन्य का जन्म कहां हुआ था?

प्रश्न-2 चैतन्य के पिता का क्या नाम था?

प्रश्न-3 चैतन्य का बचपन का नाम क्या था?

प्रश्न-4 प्रभु चैतन्य किस बात से आहत हुए?

प्रश्न-5 उनके पास ________ के अलावा कोई रास्ता एवं साधन नहीं था?

अपठित गद्यांश -10 के उत्तर :-

उत्तर-1. महाप्रभु चैतन्य का जन्म मायापुर, नदिया ग्राम में हुआ था।

उत्तर-2. चैतन्य के पिता का नाम जगन्नाथ था। 

उत्तर-3. चैतन्य के बचपन का नाम गौरांग था। 

उत्तर-4. महाप्रभु चैतन्य  हिन्दू और हिन्दू धर्म की उस दुर्दशा को देखकर बहुत आहत हुए। 

उत्तर-5. उनके पास भक्ति और साधना के अलावा कोई रास्ता एवं साधन नहीं था।





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